अगर ब्लॉग का इंट्रोडक्शन ‘जब मै छोटा था’ से करू तो थोड़ा cliched हो जाएगा, लेकिन छठ का इंट्रो बिना बचपन को याद किये पूरा नहीं हो सकता है सो चलिए down the memory lane| बचपन में छठ की एक अलग महत्ता होती थी| तब हमने तो कार्निवाल का नाम सुना नहीं था, अगर सुना होता तो हम इसको ही अपना कारनिवल मान लेते| छठ महत्वपूर्ण था, इसलिए नहीं की भक्ति का इतना बड़ा संगम कुम्भ के बाद यही देखने के लिए मिलता था, इसलिए भी नहीं की ठेकुआ पिडुकिया, लड्डू, खीर और न जाने क्या क्या खाने के लिए मिलता था| हमारे लिए तो छठ का मतलब था तीन दिन की छुट्टी, चचेरे, फुफेरे, भाई बहनो से मिलना और मज़े करना|
![Chhath Puja Patna (1)](https://dailypasseneger.com/wp-content/uploads/2017/10/chhath-puja-patna-1.jpg?w=736)
तब छठ का मज़ा ही कुछ और था, लेकिन ज़िंदगी के अलग मज़े थे सो साल दर साल छठ मनाते मनाते कब कॉर्पोरेट रैट रेस का हिस्सा बन गए की पता ही नहीं चला| और ऐसे ही बंद हो गया छठ पर घर आना, तीन दिन की छुट्टी तो जैसे सपना बन कर रह गई| इस साल जब दिवाली पर घर आने का मौका मिला तो ठान लिया की छठ तो देख कर ही जाएंगे|
छठ की एक खास बात यह है की ये एकमात्र ऐसा पर्व है जहाँ कोई पंडा पुजारी किसी भी तरह का कर्मकांड कराता नहीं दिखेगा| 36 घंटे निर्जल उपवास वाला ये त्यौहार अकेला डूबता सूर्य की पूजा करने के लिए जाना जाता है|
छठ के दिन चावल फटकने वाले सुप पर प्रसाद को रख कर सूर्य को अर्पित किया जाता है| पुराने समय में एक फसल का मौसम ख़तम हो कर दूसरा शुरू होता था, सो इस समय लोग सूर्य से ये विनती करते थे की जैसे उन्होंने उनके फसल की रक्षा पिछले पैदावार के वक्त की थी वैसे ही इस समय भी करे
अब पटना का छठ मेरे गांव के छठ से इतना अलग होगा वो तो सोचा ही नहीं था| लोग छठ के नाम पर फॉर्मेलिटी निभा रहे थे| घर के बहार छोटा सा गड्ढा खोद कर उसी में सूर्यदेव कर लिया और हो गया छठ| यहाँ कोई घाट पर नहीं जाता, कन्वीनिएंस और सोफिस्टिकेशन के चक्कर में पटना वाले काफी एडवांस हो गए है| वाइब नाम का एक शब्द होता है इंग्लिश में, वो वाइब भी कहीं गायब होता दिखा| खैर जो दिखा उतना ही सही, nostalgia लाद कर कोई कितने दिन survive कर सकता है|
अगर आपके गांव, आस पड़ोस में आज भी छठ पुरानी विधि से मनाई जाती है तो कमैंट्स में ज़रूर बताए. मै अगले साल वहां जाना चाहूंगा|
Great photos. 🙂 Looking at these even if I did not have the skill to read your dialect made me feel how sacred these traditions are.
Hope to see more of these in the future. More power to you.
Very emotional photos! Great work!
I have heard about it but witnessing it now on your blog. You have clicked some great pictures and it describes the festival perfectly.
Beautiful photographs and India surely is a divine land comprising various cultures and religions which unite us as one and make our country uniquely awesome!
We have a great deal of celebrations here in Kolkata thanks to the thriving bihari community.
These pictures are beautiful and capture the moment well! You have wonderful photography skills. 😊